बुधवार, 31 अगस्त 2011

दोहा पंचनामा

तमाम दोही पुरनियों से क्षमा सहित:

चिंता से चतुराई घटे, दुख से घटे शरीर
गालिब चाचा कह मरे, सबके दादा मीर।

मालिन आवा देखि के, कलियन करी पुकार
फूलि फूलि चुन लियो, न 
तोड़ियो तुम डार।

दुख में सुमिरन ना करो, भगवन भारी भीर
निज कन्धा खाली किया, दे दी तुमको पीर।

सुख में सुमिरन ना करो, जग की है ये रीत
कह कह सब कहकह हँसें, जब जायेगा बीत।

संता ने काँधा दिया, बंता मातम वीर
हँसते रोते
 मर गया, सुनता एक फकीर
...............


और अंत में 'घलुआ' फत्ते की ओर से: 

फत्ते की बाधा हरो, राधा नागरि तोय
सजनी छिप संकेत दे, बुढ्ढा खाँसे खोंय।

3 टिप्पणियाँ:

संजय @ मो सम कौन... ने कहा…

अंत भला तो सब भला:)

अरुण चन्द्र रॉय ने कहा…

अनुपम दोहे... पुराना तेज़ बरक़रार है...

Smart Indian ने कहा…

वाह! फ़त्ते के लिये एक जवाबी दोहा:

फ़त्ते बोझा सर धरे, पहुँचेंगे उस पार
ढोते-ढोते न थकें, सो चट्ट गये अचार!

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आते जाओ, मुस्कराते जाओ!